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इसी महीने में शाह फैसल ने सुप्रीम कोर्ट के सामने अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को चुनौती देने वाले सात याचिकाकर्ताओं की सूची में से अपना नाम हटाने के लिए आवेदन दिया था|
J&K अपडेट :
सुप्रीम कोर्ट की पांच न्यायधीशों वाली संविधान पीठ के सामने article 370 को खारिज करने से जुड़ी अपीलों के एक समूह की निर्धारित सुनवाई से कुछ दिन पूर्व ही आईएएस अधिकारी शाह फैसल ने बोले कि यह संवैधानिक प्रावधान भूतकाल की बात है और इसे वापस नहीं लिया जा सकता|
फैसल शाह twitter पोस्ट :
शाह फैसल ने ट्विटर पर लिखा, ‘मेरे जैसे अधिकतर कश्मीरियों के लिए 370 अब भूत की बात है. हिंद महासागर में झेलम और गंगा हमेशा के लिए विलीन हो गई हैं. इसे वापस नहीं लिया जा सकता है. अब सिर्फ आगे बढ़ा जा सकता है.’
370 को निरस्त किए जाने के समय हिरासत में लिए गए थे फैसल
यूपीएससी के वर्ष 2010 बैच के अधिकारी फैसल शाह को अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त किए जाने से और जम्मू कश्मीर राज्य को केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित करने के समय पर फ़ैसल को एक वर्ष से अधिक समय तक पुलिस हिरासत में रखा गया था| उन्होंने प्रशासनिक सेवा से इस्तीफा देकर एक राजनैतिक दल ‘जम्मू कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट’ की शुरुआत की थी| परंतु सरकार ने उनका इस्तीफा स्वीकृत नहीं किया पर उसी समय फैसल को केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय में तैनात कर दिया गया|
फैसले 370 को निरस्त करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी
फैसल ने वर्ष 2019 में केंद्र सरकार के अनुच्छेद 370 को अप्रभावी करने के फैसले को चुनौती देने के लिए सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष याचिका प्रस्तुत की थी |सरकार ने अप्रैल 2022 में फैसल की इस्तीफा वापस लेने के निवेदन को स्वीकृत कर लिया और फिर उनकी सेवा को बहाल कर दिया|
इसी जुलाई के महीने में फैसल ने न्यायालय के सामने अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को चुनौती देने वाले सात अपीलकर्ताओं की सूची में से अपना नाम हटाने के लिए आवेदन दिया था|
लगभग चार वर्ष होगी बाद दर्ज अपीलों पर सुनवाई
सरकार द्वारा तत्कालीन जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा देने वाले Article 370 को अप्रभावी करने के करीब चार वर्ष बाद देश के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ 11 जुलाई को इस फैसले को चुनौती देने वालीअपीलों पर सुनवाई करेगी.
सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर सोमवार को प्रकाशित हुए एक नोटिस के अनुसार, पीठ आदेश पारित करने के लिए अपीलों पर सुनवाई करेगी.