लैंड फॉर जॉब स्कैम में CBI ने दायर की चार्जशीट:
सीबीआई ने नौकरी के बदले जमीन लेने संबंधी घोटाले से जुड़े मामले में बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी के खिलाफ चार्जशीट दायर की है|
बिहार न्यूज :
CBI ने नौकरी के बदले जमीन लेने से जुड़े मामले में बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी के खिलाफ चार्जशीट दायर की है| राउज एवेन्यू कोर्ट में दायर इस चार्जशीट में तेजस्वी यादव के अलावा आरोपी के तौर पर कई अन्य लोगों का नाम शामिल है| कोर्ट को सीबीआई के स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्युटर डी पी सिंह ने बताया कि इस मामले में पहले भी चार्जशीट दाखिल की गई थी| लेकिन बावजूद इसके अब नई चार्जशीट दाखिल की गई है. इस चार्जशीट के दाखिल होने के बाद लालू फैमिली पर गिरफ्तारी की तलवार लटक गई है| DP सिंह ने बताया की कोर्ट को यह भी कहा है कि लालू जी समेत तीन अन्य लोगों के खिलाफ धाराओं को लेकर मंजूरी का इंतजार है|
लालू प्रसाद यादव पर गंभीर आरोप
दरअसल लैंड फॉर जॉब मतलब की नौकरी के बदले जमीन का यह मामला साल 2004 से लेकर 2009 से बीच का है. तत्काल केंद्र की सत्ता में यूपीए-1 की सरकार थी और उस समय लालू प्रसाद यादव रेल मंत्री थे|
आरोपों में ऐसा कहा गया कि लालू यादव के रेल मंत्री रहते हुए इंडियन रेलवे के ग्रुप डी पदों पर नियमों का उलँघन करते हुए कई लोगों की नियुक्तियां हुई थीं. इसके लिए न तो कोई सार्वजनिक नोटिस जारी किया गया और न ही विज्ञापन. इसके बदले में जिन लोगों को नौकरियां मिली थीं, उन्होंने लाभार्थी कंपनी एके इंफोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड को अपनी जमीन दे दी थी. फिलहाल सीबीआई ने जो एक नई चार्जशीट दाखिल की है उस पर सुनवाई की कोई तारीख अभी तक बताई नहीं आई है| 12 जुलाई के लिए यह मामला पहले से ही सूचीबद्ध है.
देखिए CBI के आरोप क्या hai?
CBI ने आरोपियों की लिस्ट में लालू यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी, बड़ी बेटी मीसा और हेमा यादव के अलावा कुछ अन्य लोगों के नाम दर्ज किए है और उनके ऊपर केस को बताया है |. सीबीआई का आरोप है कि जिन लोगों की रेलवे में भर्ती के लिए जिन लोगों से जो जमीनें ली गईं उसको लालू यादव ने अपने परिजनों के नाम से रजिस्टर करा लिया | सीबीआई ने यह भी आरोप लगाया कि लालू यादव के रेल मंत्री रहते हुए 7 अयोग्य कैंडिडेट्स को रेलवे में नौकरी दी थी. ईडी ने तो यहां तक कहा था कि कुछ कैंडिडेट्स के आवेदनों को अप्रूव करने में जल्दबाजी की गई. कुछ की एप्लिकेशन्स को तो मात्र तीन दिन में ही मंजूरी दे दी गई थी.