
आपको इसका सही तरीका पता हो तो आप मोटा पैसा कमा सकते हैं। तो आज हम आपको एक ऐसी फसल के बारे में जानकारी दे रहे हैं. इसकी खेती में एक बार मेहनत करनी होती है और फिर चार वर्षों तक फसल मिलती है.
अगर आप एक किसान हैं और एक बार फसल लगाकर कई वर्षों तक कमाई करना चाहते हैं तो कुंदरू की खेती (Kundru Farming) एक बढ़िया आइडिया साबित हो सकता है. इसकी बुवाई में सिर्फ एक बार मेहनत करनी होती है और फिर कई वर्ष तक फसल मिलती रहती है. आइए जानते हैं कैसे की जाती है कुंदरू की खेती और कितनी हो सकती है कमाई?
कुंदरू (Ivy Gourd) के कच्चे हरे फल पौष्टिक होते हैं और कैल्शियम, प्रोटीन, रेशा और बीटा कैरोटीन, विटामिन- ए का बेहतर स्रोत है. इसे सलाद या पकाकर सब्जियों के रूप में खाया जाता है. जड़ों और पत्तियों के रस का इस्तेमाल मधुमेह (Diabetes) के इलाज में किया जाता है. पत्तियों का इस्तेमा घावों के इलाज में लेप के रूप में किया जाता है.
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कृषि वैज्ञानिकों ने कुंदरू (Kundru) की कई उन्नत किस्में विकसित की हैं. आईसीएआर के मुताबिक, अर्का नीलाचल कुंखी, अर्का नीलाचल सबुजा, इंदिरा कुंदरू-3, इंदिरा कुंदरू-5 और काशी भरपूर, इसकी उन्नत किस्में हैं. अर्का नीलाचल कुंखी किस्म सलाद और सब्जी के लिए बेहतर है. यह अगेती किस्म है. फल लंबे और 23-25 ग्राम के होते हैं. उपज 18-25 किग्रा प्रति पौधा, 800 फल प्रति पौधा प्रति मौसम होती है.
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यह पुष्ट होता है और हाई बायोमास का उत्पादन करता है. यह दिखने में गहरा हरा, कटी हुई धारी वाला होता है. 10-11 महीन में 70-80 बार तुड़ाई की जा सकती है. फलों का वजन करीब 25 ग्राम और फलों की संख्या 900-100 प्रति पौधा है. बेहतर खेती तकनीक को अपनाकर प्रति पौध से औसतन 40-50 किग्रा उपज ली जा सकती है.
इसके फल अंडाकार, हल्के हरे रंग के और सफेद धब्बों वाले होते हैं. एक हेक्टेयर में रोपाई के लिए 2500-2600 जड़ वाली कलमों की जरूरत होती है. इसमें रोपाई के 40-50 दिनों के बाद फल आना शुरू हो जाते हैं.
कुंदरू की खेती (Kundru Farming) के लिए बलुई दोमट मिट्टी बेहतर है. कुंदरू के पौधों की रोपाई करने से पहले खेत की अच्छी तरह से जुताई की जाती है. फिर खेत में गोबर, जैविक खाद और वर्मी कंपोर्ट डाला जाता है. इसके बाद खेत में मेड़ बनाकर कुंदरू के पौधों की रोपाई की जाती है. अच्छी पैदावार और मिट्टी में नमी कायम रखने के लिये हफ्ते में एक बार सिंचाई जरूर करें. कुंदरू की खासियत है कि एक बार रोपाई करने के बाद आप इससे 4 सालों तक कुंदरू का बंपर उत्पादन ले सकते हैं.
इस खेती की खासियत |

कुंदरू की खासियत है कि एक बार रोपाई करने के बाद आप इससे 4 वर्षों तक उत्पादन ले सकते हैं. प्रति हेक्टेयर खेती से 300 क्विंटल तक की पैदावार मिल सकती है. बाजार में इसकी कीमत 60 से 80 रुपये किलो तक है. थोक में भी आप इसे 40-50 रुपये किलो तक बेच सकते हैं. अगर एक हेक्टेयर में 300 क्विंटल कुंदरू की पैदावार हुई और 40 रुपये के हिसाब से भी बिकी तो साल में 12 लाख रुपये की कमाई होगी. यानी हर महीने लाख रुपये की कमाई हो सकती है.